अशरफ अली बस्त्वी ,नई दिल्ली
देश में आतंकवाद के मामलों की जाँच करने वाली सरकारी एजेंसी एनआईए ने हाल ही
में एक प्राथमिकी दर्ज कराई है जिसमें एजेंसी ने संदेह व्यक्त किया है कि देश में
अल्पसंख्यकों से संबंधित सामाजिक संगठन विदेशों से जो दान प्राप्त करते हैं उन्हें
कल्याण कार्यों में इस्तेमाल करने के बजाय यह राशि देश में आतंकवाद को बढ़ावा देने
में खर्च करते हैं. रिपोर्ट में कहा गया है कि कुछ सिख एनजीओ 1984 के सिख विरोधी
दंगों और ऑपरेशन ब्लू स्टार के पीड़ितों की पुनर्वास और सहायता के लिए चंदे की रकम
विदेशों से प्राप्त करती हैं और उन्हें बब्बर खालसा इंटरनेशनल और खालिस्तान ज़िन्दाबाद
फोर्स को फिर से जीवित करने के लिए करते हैं. मालूम हो कि पिछले दिनों एनआईए ने गृह मंत्रालय
के एफ सी आर ए विभाग से पूछा था कि वर्ष 2008-9 और 2010-11 के दौरान देश में अल्पसंख्यक वर्ग की एनजीओ ने विदेशो से कितनी रकमें
प्राप्त की हैं और एनजीओज की कुल संख्या क्या है? गौरतलब बात यह है
कि गृह मंत्रालय के एफ सी आर ए विभाग ने जो डेटा प्रदान
किया है चैंकाने वाला है गृह मंत्रालय ने एनआईए को बताया कि देश के 250 मुस्लिम एनजीओज को 337 करोड़ रुपये 14 सिख एनजीओज को 23 करोड़ रुपये , 250बुदधिस्ट एनजीओज को 504 करोड़ और सबसे अधिक 4700 ईसाई मशनरीज़ को दस
हजार 617 करोड़ प्राप्त हुए हैं. आश्चर्य की बात है कि मामला आतंकवाद की जांच से
संबंधित है, इसके बावजूद देश के बहुसंख्यक ( हिन्दू ) वर्ग की एनजीओज को
जाँच के इस दायरे में नहीं लायागया है जबकि एनआईए के मद्देनजर 2008 से 2011 के बीच देश में आने
वाले विदेशी दान का विवरण है यह वही समय है जब मुंबई ऐ टी एस के चीफ हेमंत करकरे ने
पहली बार देश के सामने भगवा आतंकवाद का चेहरा बेनक़ाब किया था और माले गांव धमाके
सहित अन्य मामलों में हिंदू चरमपंथी संगठनों के शामिल होने की बात कही गई थी.
पुरोहित और प्रज्ञा सिंह ठाकुर सहित अन्य की गिरफ्तारी हुई थी, लेकिन एनआईए ने
हिन्दू एन जी ओज का विवरण जानने की
ज़हमत गवारा नहीं. की एनआईए ने ऐसा क्यों किया यह गौरतलब बात है. दूसरी ओर एक और पहलू इस से खुलकर
सामने आया है कि देश में सबसे अधिक ईसाई मिशनरीज सक्रिय हैं उनकी
संख्या सबसे अधिक है और दान भी ईसाई मिशनरीज सबसे जियादा प्राप्त करते हैं.
गौरतलब है कि ईसाई मिशनरीज के बारे में अधिक जानकारी प्राप्त करने की कोशिश होनी चाहिए कि वह किन
क्षेत्रों में इस राशि का इस्तेमाल करती हैं. गौरतलब है कि मुस्लिम और सिख एनजीओ
मिलकर बुद्धिस्ट धर्म से संबंधित एनजीओ के बराबर भी दान प्राप्त नहीं कर करपातें .
जरूरत इस बात की है कि इन आंकड़ों की रोशनी में आरटीआई की मदद से गृह मंत्रालय
के एफ सी आर ए विभाग से पता किया
कि उस अवधि में हिंदू एनजीओज ने कितनी रकमें प्राप्त की और उनकी संख्या क्या है? और देश में सक्रिय
ईसाई मिशनरीज के कार्य क्षेत्र का विवरण क्या हैं? यह आंकड़े चैंकाने वाले हैं. सभी जानते हैं कि वर्ष 2008 में जब भगवा
आतंकवाद का चेहरा बेनक़ाब हुआ था तो उस समय हेमंत करकरे को कुछ दस्तावेज हाथ लगने
की खबर आई थी जिनमें नेपाल सहित अन्य देशों से
आतंकवादियों के संपर्क की बात जाहिर हुई थी, लेकिन दुर्भाग्य से
आतंकवाद की जड़ों को जानने का यह अध्याय महाराष्ट्र
के पूर्व एटीएस प्रमुख हेमंत करकरे की मौत के साथ बंद हो गया. यह अच्छा मौका है कि
हिन्दू एन जी ओज की भूमिका और उन्हें मिलने वाली दान की रकम को सार्वजनिक किया
जाए. अगर यह काम आरटीआई द्वारा किया जा सकता है तो इसमें पहल करनी चाहिए.
E-mail: ashrafbastavi@gmail.com
The govt may say that foreign funded ngos are against country's development but this report says something else. Please have a look.
http://www.frontline.in/static/html/fl1925/stories/20021220005502700.htm
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